(HINDI) Sewa Sadan Paperback- Munshi Premchand
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(HINDI) Sewa Sadan Paperback- Munshi Premchand

Munshi Premchand
    ISBN 978-8179871829
₹ 149 ₹ 195
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Book Details
  • Publisher ‏ : ‎ Vishv Books Private Limited (1 January 2011); A-36 Site IV Industrial Area, Sahibabad, Ghaziabad, Uttar Pradesh - 201014
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • Paperback ‏ : ‎ 260 pages
  • ISBN-10 ‏ : ‎ 8179871827
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 978-8179871829
  • Reading age ‏ : ‎ 12 years and up
  • Item Weight ‏ : ‎ 310 g
  • Dimensions ‏ : ‎ 21.5 x 14 x 1 cm
  • Country of Origin ‏ : ‎ India
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Description

अनमेल विवाह के बाद, कुछ दिन तक तो सुमन का पारिवारिक जीवन चैन से बीता, किंतु फिर पतिपत्नी में अकसर खटपट रहने लगी, क्योंकि पति गजाधर अपनी गरीबी के कारण युवा और सुंदर सुमन की अतृप्त इच्छाओं को तृप्त कर पाने में असमर्थ था और सुमन को सामने रहने वाली वेश्या भोली के ठाटबाट और मानसम्मान लुभाने लगे थे। एक रात स्थिति यहां तक आ पहुंची कि सहेली सुभद्रा के यहां से भोली का मुजरा देख कर सुमन जब घर लौटी तो शक के शिकार गजाधर ने उसे घर में ही नहीं घुसने दिया। लाचार सुमन कहां गई? क्या वह भी भोली की तरह मुजरेवाली बन गई? अथवा उस ने अपनी जैसी नारियों के उद्धार के लिए कुछ किया? ऐसे ही तमाम सवालों का रोचक कथात्मक जवाब है प्रेमचंद का सुधारवादी उपन्यास ‘सेवा सदन’, जिस में प्रेमचंद ने भारतीय नारी की पराधीनता, निस्सहाय अवस्था और दयनीय जीवन पर प्रकाश डाला है। साथ ही धर्म के धंधेबाजों, धनपतियों, सुधारकों के आडंबर, दंभ, चरित्रहीनता, दहेज प्रथा, वेश्या गमन और हिंदू समाज के खोखलेपन आदि को भी रेखांकित किया है। विभिन्न सामाजिक समस्याओं को भावनात्मक धरातल पर प्रस्तुत करने वाला यह एक पठनीय एवं संग्रहणीय उपन्यास है।

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