रूठी रानी' एक ऐतिहासिक उपन्यास है, जिसमें राजाओं की वीरता और देशभक्ति को कलम के आदर्श सिपाही प्रेमचंद ने जीवन्त रूप में प्रस्तुत किया है। उपन्यास में राजाओं की पारस्परिक फूट और ईर्ष्या के ऐसे सजीव चित्र प्रस्तुत किये गये हैं कि पाठक दंग रह जाता है। 'रूठी रानी' में बहुविवाह के कुपरिणामों, राजदरबार के षड्यंत्रों और उनसे होने वाले शक्तिह्रास के साथ-साथ राजपूती सामन्ती व्यवस्था के अन्तर्गत स्त्री की हीन दशा के सूक्ष्म चित्र हैं।
प्रस्तुत कृति में प्रेमचन्द ने देश की स्वतन्त्रता के प्रेमियों का आह्ववान करते हुए कहा है कि साहस एवं शौर्य के साथ एकता और संगठन भी आवश्यक है।